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कॉलगर्ल

'कई बार दिल भर आया है मगर रोये नहीं हम... तडपते रहे उसके प्यार में.... दिल की आवाज रब भी सुनता होगा।' ******

समीर का दिल तड़प उठा था। यह वही मीरा थी जो उसे बेइंतहा प्रेम करती थी। साथ जीने मरने के कॉल दिए थे। साथ में जीने मरने के ख्वाब देखे थे। कसमे वादे किए थे दोनों एक दूसरे से इतनी मोहब्बत करने लगे थे कि दोनों ने सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए वे दोनों कभी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे। मगर हालात को कुछ और ही मंजूर था। वह कहां अपने पिता के खिलाफ जा सकती थी? जब उसके पिता ने उसे कहा कि 'बेटा तुम्हारे लिए हमने लड़का देखा है तब वह उफ् तक नहीं कर पाई। क्योंकि पापा का रवैया ही इतना सख्त था कि उनके सामने बोलने की हिम्मत उसने पहले की थी ना उसे दिन कर सकी। मां ने भी उसे समझाया तुम्हारे पिता का फैसला लोहे की लकीर होता है बेटा और वह तुम्हें मन ही पड़ेगा तुम्हारे दिल में अगर कोई और भी है तो तुम्हें अपने अरमानों का बलिदान देना होगा। क्योंकि तुम्हारे पिता से फैसले के खिलाफ जाने का मतलब है मौत को दावत देना। रही बात प्यार की तो होने वाले पति के साथ भी तुम अच्छी तरह रह पाओगी। वह तुम्हें दुनिया के सारे सुख देगा। हर खुशी तुम्हारे कदमों में लाकर रख देगा। चाहे जैसे भी है तुम्हारे पिता तुम्हारे लिए अपने लेवल का ही दामाद पसंद करेंगे। और फिर उसने समीर को छोड़कर अपने पापा की पसंद के लड़के के साथ शादी कर ली। समीर के लिए यह सदमा बर्दाश्त से बाहर था। अपनी प्रेमिका के जाने के बाद वह टूट कर बिखर चुका था। बहुत तड़प था वह ऐसा नहीं था कि उसे कोई और लड़की नहीं मिल सकती थी? लेकिन वह उसे बेपनाह मोहब्बत करता था उसके सिवा किसी के साथ जीने का ख्वाब मैं भी नहीं सोच सकता था। तो उसके ऐसे फैसले की वजह से समीर का दिल छलनी हो जाना लाजिमी था। समीर हमेशा खुद से यही फरियाद करता रहता है कि हे प्रभु! तुमने मेरी जिंदगी का फैसला करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा मैं उसके बिना कैसे जिऊंगा? जिसका चेहरा देखकर मेरे रात और दिन होते थे उसके जाने के बाद मेरा तो जीवन ही खत्म हो गया है। आपने मेरी किस्मत ऐसी क्यों लिखी? मानते हैं की प्रेम में त्याग का महत्व है मगर वह तो उतना आगे बढ़ गया था जहां से उसके लिए वापस लौटना नामुमकिन था। मीरा ने समीर को छोड़ने से पहले एक बार भी सोचा नहीं था। उससे मिलने तक गई नहीं थी सिर्फ एक मैसेज किया था। समीर मम्मी पापा को मैं नाराज नहीं कर सकती क्योंकि पापा हार्ट पेशेंट है। इसलिए उनकी बात मानकर उन्होंने जो लड़का मेरे लिए पसंद किया है उसके साथ में शादी करने जा रही हूँ। हो सके तो मुझे माफ करना। तुम मेरी मजबूरी समझोगे। आई एम रियली सॉरी।" उसके एक ही फैसले से समीर की दुनिया लुट गई थी। एक पल में सब कुछ खत्म हो गया था। न जाने कितने दिन तक समय उसे स्थिति को हजम नहीं कर पाया था। उसकी कजिन रीना को दोनों के अफेयर के बारे में पता था। इसलिए रीना को जब उसे बात का पता चला कि मीरा समीर को छोड़कर चली गई है तो वह भागते हुए उसके घर आई थी। "कैसा है रे भोंदू! क्यों मुंह उतरा हुआ है?" उसने आते ही पूछा था। "कुछ नहीं हुआ बहना मैं ठीक हूँ!" "हाँ, मैं अच्छी तरह जानती हूं तो कितना ठीक है। बता क्या हुआ है मैं पूरा मैटर जानना चाहती हूं?" समीर में रीना को पिछले कुछ दिनों से उसके और मीरा के बीच जो भी हालत थे वह सब कुछ बता दिया। तो रीना ने कहा----"बस इतनी सी बात है पागल, जिंदगी किसी एक के जाने से खत्म नहीं होती ऊपर वाले ने हमें इतनी खूबसूरत जिंदगी दी है उसे ऐसी लड़की के लिए खत्म नहीं करते जो तुम्हें ठुकरा कर चली गई। सब कुछ भूल जाओ और जिंदगी में आगे बढ़ो।" "मगर कैसे आगे बढुं रीना हर जगह मुझे वो ही वो दिखाई देती है।" "अच्छा ऐसी बात है तो मैं आज से तुमसे वादा करती हूं कि जब तक तुम्हारा दिमाग से उस लड़की के प्रेम का भूत नहीं उतार देती तब तक मैं तुमसे दूर नहीं रहने वाली।" "ठीक है कोशिश कर लो।" समीर ने कहा था। उसे दिन के बाद रीना समीर के आसपास रहने लगी थी उसकी छोटी-छोटी जरूरतों का ख्याल रखती थी।  समीर को किताबें पढ़ना बहुत अच्छा लगता था यह बात रीना को पहले से पता था इसलिए वह अक्सर समीर के लिए जासूसी उपन्यास ले आती थी। समीर रोज नई-नई किताबें पढ़ता रहता था। धीरे-धीरे उसके दिमाग से मीरा का भूत उतर गया। रीना समीर का ब्रेन वाश करने में पूरी तरह सफल हो गई थी। ऐसा कहूं तो गलत नहीं होगा कि समीर को उसने एक नई जिंदगी दी थी। जैसे-जैसे दिन गुजरते गए वैसे-वैसे समीर जासूसी उपन्यास पढ़-पढ़ कर फिर से अपने पुराने रूप में वापस लौट आया था। समीर काफी इंटेलिजेंट लड़का थां। उसका दिमाग एक जासूस की तरह हो गया था। अक्सर वह छोटे-मोटे कैसे को हाथ पर लेता था और अपने तरीके से इन्वेस्टिगेट करता था। समीर के इसी शौक की वजह से वह अपने दोस्तों में काफी मजबूर था। यहां तक कि वह धीरे-धीरे इसे प्रोफेशन बनाने की फिराक में था। जब पूरी तरह समीर ठीक हो गया था। सबकुछ ठीक हो गया था। उसे एक नई जिंदगी रीना ने दी थी क्योंकि वो मानती थी जिसका दिल टूट जाता है उसे संभाल लिया जाता है। इस तरह से उसने अपने नाम नेकीयाँ लिखवा ली थी ऐसा रीना सोचने लगी थी। लेकिन सच तो ये था की समीर अपने प्रेम को दिल और दिमाग से मिटा नही सकता था। उसने प्रेमिका की यादो के साथ जिंदगी बसर करने का मन बना लिया था। रीना का दिल रखने के लिए उसने किताबें पढने में मन लगाया था। रीना को लगा था उसकी मेहनत रंग लाई है। काश ऐसा हो पता! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। समीर और मीरा का पुनर्मिलन।

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2 Comments

Varsha_Upadhyay

30-Sep-2023 08:58 PM

Nice 👍🏼

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Gunjan Kamal

30-Sep-2023 08:21 AM

शानदार भाग

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